मंजूषा कला – रत्ना प्रिया

Ratna Priya

मंजूषा कला
लोक कथा, लोक संस्कृति, जीवन का आधार है ,
मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का, अनुपम उपहार है |

कला जीवन की थाती है, स्नेहघृत की बाती है,
प्रतिपल आकर्षित करती,मन को सहज बनाती है ,
कला ,काल की अनुपम कृति ,युग को देती आकार है |
मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का ,अनुपम उपहार है |

कथा है माता मनसा और शिव भक्त चाँद सौदागर की ,
पूर्वजों की दंतकथा ने सबके समक्ष उजागर की ,
मंजूषा की कलाकारी में शिव भक्ति के उद्गार हैं |
मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का ,अनुपम उपहार है |

बिहुला नारी शक्ति है जो , व्रत को सफल बनाती है,
मृत पति को वापस लाने सावित्री बन जाती है,
हर नारी में पतिव्रता के भरती शुभ संस्कार है |
मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का , अनुपम उपहार है |

प्रेम ,समृद्धि ,विकास की यह परंपरा निराली है,
सुख-समृद्धि , खुशहाली से दामन भरने वाली है ,
प्रकृति प्रदत्त परंपराओं के प्रति आभार है |
मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का ,अनुपम उपहार है |

बिहार की इस पुण्य धरा की कृति वापस लाएँ हम ,
मंजूषा की अमिट रेखाएँ , घर-घर में पहुँचाएँ हम ,
इस हेतु मंजूषा गुरु का प्रयास बारंबार है |
मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का अनुपम उपहार है |

रत्ना प्रिया
Ratna Priya

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