तितली-रानी कुमारी

तितली

तितली रानी, तितली रानी
बोलो कहाँ से आती हो
रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे
इतने रंग कहाँ से लाती हो
बोलो कहाँ से आती हो
कभी इस फूल पर, कभी उस डाल पर
बैठ तुम इठलाती हो
क्या इन्हीं से ये सारे रंग चुराती हो
बोलो कहाँ से आती हो,
बोलो कहाँ से आती हो
एक दिन बैठी थी तुम हरी घास पर
देखकर तुमको मेरा मन हर्षाया
जैसे गये बच्चे तुम्हें पकड़ने
तुम दूर बहुत उड़ जाती हो
बोलो कहाँ से आती हो,
बोलो कहाँ से आती हो
हम सब बच्चे हैं नादान
करते रहते तुमको परेशान
फिर भी हमको देखकर
तुम मंद-मंद मुस्काती हो
बोलो कहाँ से आती हो,
बोलो कहाँ से आती हो
प्यारी तितली, प्यारी तितली
अब हम बच्चे नहीं करेंगे तुमको तंग
यूहीं तुम फैलाती रहना
जीवन में खुशियों के रंग
शायद दूर आसमान में है तेरा बसेरा
लगता है वहीं से आती हो,
लगता है वहीं से आती हो।

रानी कुमारी
N. P. S हैवतपुर
बाराहाट, बाँका

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