नौ से पाँच – नीतू रानी

नौ से पाँच हुआ स्कूल
रोज करते हैं सात -आठ पार पूल,
जाते आते हैं आॅटो बस से
चाहे स्कूल हो नजदीक या दूर।

नौ से पाँच हुआ स्कूल
स्कूल से घर है 30-40 किलोमीटर दूर,
जाते -जाते हो जाती है रात
मन नहीं करता पकाऊँ भात।

खाकर सोना पड़ता है मुरही
पेट में होने लगता है गुरगुरी,
बारह बजे रात बच्चे को जब लगती है भूख
बच्चे को कहते हैं सुबह होने में अभी बाँकी है जाके अभी सूत।

माँ के लिए बच्चे परेशान
जबतक माँ आती हो जाती शाम,
स्कूल से बच्चे जब वापिस आते
बिन माँ के सूना पड़ा मकान।

साढ़े पाँच बजे रहते सड़क पर खड़े
बस में काफी भीड़ कारण जाते हैं खड़े,
जब पहुँचते हैं घर अपने
तब लगता है हो गए हम अधमरे।

दो दिनों से ठंढी बढ़ी
ठंढी के कारण बारिश हो रही,
दो बजे हीं लगता हो गई है शाम
रात को पहुँचते हैं हम अपने गाम।

यही है हम सबों की जिंदगी
बस करते रहते हैं ईश्वर से विनती,
हे ईश्वर दो हमें वरदान
सब आदर से ले हमारा नाम।


नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।

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