बचपन – सुधीर कुमार

Sudhir Kumar

सजल
मात्रा – 14
समांत – आया
पदांत — बचपन

मोबाइल खाया बचपन ।
क्यों ऐसा लाया बचपन ?

सब कुछ छीन लिया इसने ।
खेल बिना पाया बचपन ।।

भूल गए पढ़ना-लिखना ।
क्यों ऐसा आया बचपन ।।

आँख चली जाए तो क्या ।
लगती अब माया बचपन ।।

खाना पीना सब भूले ।
अब किसको भाया बचपन ?

हाल बुरा है बच्चों का ।
कैसा है छाया बचपन ?

सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार

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