बैलगाड़ी हाँकते – एस.के.पूनम

S K punam

विधा:-मनहरण घनाक्षरी

कड़कड़ाती ठंड है,
प्रकाश की तलाश है,
सूरज की प्रतीक्षा में,प्राची दिशा झाँकते।

पक्षियों का कलरव,
शबनम चमकती,
कोहरे का पहरा है,बैठ आग सेकते।

अन्नादाता खेत पर,
फलियां लहरा रहे,
टोकरी में दाने भरी,देखते चहकते।

साग-सब्जी लाद कर,
बेचने बाजार गए,
भूखे- प्यासे रह कर,बैलगाड़ी हाँकते।

एस.के.पूनम।

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