एक सपेरा-निधि चौधरी

Nidhi

एक सपेरा

देखो देखो आया है एक सपेरा,
आंगन के बाहर है डाला डेरा।
ठुमक ठुमक के नाचे नागिन,
बीन बजा के नचवाए सपेरा।

खेल छोड़ कर बच्चों आओ,
देख तमाशा मन बहलाओ।
माही, गोलू, सोनू, आओ,
संग में एक एक पैसा लाओ।

बैठे बैठे खूब बजाए बीन सपेरा,
दिखता है जैसे, सापों का लुटेरा।
एक नाग है, और दूजी नागिन,
छोटी सी टोकरी, इनका बसेरा।

बच्चों अपना मन बहलाओ,
गीत खुशी के तुम भी गाओ।
साँप देख तुम, डर न जाना,
धमाचौकड़ी खूब मचाओ।

निधि चौधरी
किशनगंज, बिहार

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