मनमौजी रोजी-आँचल शरण

Anchal

मनमौजी रोज़ी 

सात वर्ष की लड़की रोज़ी,
करती रहती हरदम मनमौजी!
बात कभी नहीं मानती माँ की
माँ जब भी कहती स्वच्छ रहा कर
पर वह बिल्कुल नहीं समझती,
स्नान ध्यान भी रोज नहीं करती
बगैर हाथ धोये खाना भी खा लेती।
मम्मा उसको रोज समझाती,
पर रोजी को समझ न आती!
एक दिन रोजी स्कूल से आई
आते ही जोर जोर से चिल्लाई।
बोली पेट में दर्द हो रही है,
जान मेरी निकल रही है।
माँ झट से उसे गोद उठाई,
डॉक्टर को घर पर बुलवाई
डॉक्टर ने जब देखा रोज़ी का गंदा हाल!
जमकर उसको डांट लगाया और किया फिर समाधान,
रोज सबेरे उठना तुम, खुद को स्वच्छ रखना तुम।
नाखून तेरे बढे हुए है, इसमें कीटाणु भरे हुए है,
खाने के साथ ये अंदर जाते, लाखों बीमारी की शुरुआत कराते!
शौच से जब भी आती हो साबुन से हाथ नहीं धोती हो।
इसी से बीमार हो जाती हो,
एक बात हमेशा याद रखना तुम!
खाने से पहले बीस सेकेंड तक साबुन से हाथ धोना तुम।
पाँच विधि है हाथ धुलाई के
पहले हाथ में पानी लेकर, हाथ भिगाना तुम फिर;
S से साबुन
U से ऊपर
M से मुट्ठी
A से अंगूठा
N से नेल
इस विधि से हाथ धोना तुम।
तब होगी न बीमार कभी तुम
यह सब सुनकर रोजी मुस्काई
बोली अब करूँगी रोज सफाई
सखियों को भी बतलाऊँगी।
यह सुनकर सभी हर्षाई।

आँचल शरण
प्रा. वि. टप्पूटोला
बायसी, पूर्णिया
बिहार

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