अद्भुत है हिन्दी की भाषा,
राष्ट्र शक्ति प्रेरित अभिलाषा,
जो लिखें वो बोलें हम,
हृदय भाव को तौलें हम,
दूसरी भाषा के शब्दों को,
विदेशज रूप रस घोलें हम,
भिन्नता नहीं इसमें जरा-सी,
अद्भुत है हिन्दी की भाषा,
राष्ट्र शक्ति प्रेरित अभिलाषा।
बहुतायत में बोली जाती,
विदेशों में भी परचम फैलाती,
देववाणी से जन्म यह लेकर,
देव चरित्र भी यह सिखाती,
देती यह हर मन को दिलासा।
अद्भुत है हिन्दी की भाषा,
राष्ट्र शक्ति प्रेरित अभिलाषा।
ग्यारह स्वर व्यंजन तैंतीस,
इनसे बनती है वर्णमाला,
लेकिन संकेत हैं कुल सावन,
जो विशिष्ट इसे बना डाला,
मात्रा व बारह खड़ी है खासा।
अद्भुत है हिन्दी की भाषा,
राष्ट्र शक्ति प्रेरित अभिलाषा।
निराले एकार्थक अनेकार्थक ,
विशिष्ट बनाती इसे पर्याय,
बदलते भाव चिह्न विविध,
गद्य पद्य की अनेक कलाएँ,
सिंचित करती मन जैसे बर्षा।
अद्भुत है हिन्दी की भाषा,
राष्ट्र शक्ति प्रेरित अभिलाषा।
हिन्दी खुद शब्द फारसी की,
चौदह सितंबर जयंती मनाया,
उनचास में संविधान अपनाया,
तीन तैंतालीस में जगह पाया,
बनी एक अधिकारिक भाषा।
अद्भुत है हिन्दी की भाषा,
राष्ट्र शक्ति प्रेरित अभिलाषा।
आज तिरस्कृत बनी बेचारी,
आंग्ल प्रेम की है यह मारी,
आकर्षण प्रेम संस्कृत नारी,
दो लिंग दो वचनों पर वारी,
‘पाठक ‘ देते संयम हैं दिलासा।
रचयिता- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया
इंगलिश पालीगंज, पटना