कैसी व्वस्था-संयुक्ता कुमारी

Sanyukta

कैसी व्यवस्था

कैसी है हमारे सभ्य समाज की व्यवस्था?
कोई कब समझेगा गरीब की अवस्था?

आवाज उठाओ हो रहा है अत्याचार।
चहुँ ओर से घिरे देखते हैं, हम बन लाचार।।

अरे ! मानव हो तुम…तुम पर है धिक्कार।

गरीबों को ना सताओ, यह है आपका अपना व्यवहार ।।

कभी होता किसानों पर अत्याचार ।
कभी साधुओं पर होता प्रहार ।।

ऐसी घटना मानवता को किया शर्मसार ।
मत पीटों गरीबों को वे हैं बहुत लाचार।।

क्या यही हम भारतीयों का है आपस में प्यार?
लाचारों पर ही करते, ताकत आजमाईश न होते बिल्कुल शर्मसार ।।

सब मौन खबरों में सुन रहे हैं, हम पर है धिक्कार ।
कैसा है यह देश हमारा, जहाँ मचा है हाहाकार?

जग में हम सभी नई चेतना फैलाएँ ना करें हम यह स्वीकार।
भर दे आने वाली पीढ़ी में एक नई चेतना और हुंकार।।

हम मानव बने, समाज को बनाए शिष्ट सलीकेदार।
यूँ मूक बधीर न बैठो इन्साफ माँगना है हमारा अधिकार।।

 संयुक्ता कुमारी 
 क. म. वि. मल्हरिया 
बाईसी  पूर्णिया  बिहार

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