माँ-संयुक्ता कुमारी

Sanyukta

माँ

माँ की स्नेह गाथा मैं क्या खोलूँ ।
माँ की करुणा पर क्या बोलूँ ।।

माँ कैसी भूलूँ वह मीठी यादें ।
कैसे भूलूँ वह प्यारी साथे ।
आपकी मधुर स्मृति भरी,
हृदय में संजोए वह बातें ।

मैं कैसे भूलूँ उन पलों को,
आप की ममता से भरी
हुई क्षणों को ।

खुद भूखी रहकर भी आपने
हमें खिलाया ।
हर वक्त परेशान होकर भी
आपने हमें हँसाया ।।

अब तो सारे रिश्ते-नाते
बनावटी दिखती।
माँ आपके प्यार में कभी
मिलावट न दिखी ।

माँ आपकी यादें खुशबू की
तरह ताजा रहती ।
आप को याद कर मेरी
आँखें अब भी रोती ।।

माँ की स्नेह-गाथा मैं क्या खोलूँ ।
माँ की करुणा पर क्या बोलूँ ।।

संयुक्ता कुमारी
संकुल समन्वयक
कन्या मध्य विधालय मलहरिया
बायसी पूर्णिया

Leave a Reply