हरदम पढना है-विजय सिंह नीलकण्ठ

हरदम पढना है

हम सबको हरदम पढ़ना है
कुछ ना कुछ तो ज्ञान बढ़ेगा
ज्ञान कलश ऐसा हो जाए
जो सागर दिन-रात बहेगा।

जो भी मिले उसे पढ़ने से
थोड़ा ज्ञान प्राप्त हो जाता
फिर उसपर चिंतन करने से
भरपूर ज्ञान तो मिल ही जाता।

पढ़ने का यह मतलब न है
केवल किताब को पढ़ते रहना
इसका मतलब आस-पास की
वस्तु को हीं है निहारना।

भरपूर ज्ञान न मिल पाता
गर इच्छा न हो पढ़ने की
ज्ञान अधूरा रहने से
न मौका मिलती बढ़ने की।

जितने भी जग में अमर हुए
हैं ज्ञान प्राप्त करके ही वो
न कभी भुलाते हम उनको
वो जो भी थे हम जैसे तो।

बस इच्छा शक्ति को बढ़ाकर
पढ़ने की आदत होगी
फिर न कोई कहलाएगा
यायावर अनपढ़ योगी।

ज्ञानवान को सभी पूछते
जाने यह दुनिया सारी
फिर भी कुछ जन ज्ञान प्राप्त को
समझे क्यों बहुत भारी ?

विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम

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