टी.ओ.बी. के वर्षगांठ-आर.पी. राज

टी.ओ.बी. के वर्षगांठ

चाॅन सुरुज के जोत जईसन,
फईलत एकर जोत बा।
दिन-दिन विद्वतजन के,

हुनर के चरचा होत बा।।

ऑंखिन हमऩ देखब एकर,
फहरत कीर्ति पताखा।
फइली देश विदेशन में,
एकर सगरो शाखा।।

मील के पथल साबित होता,
खातिर नव श्रृजनकारण के।
दे रहल बा गढुअन पहिचान,
लेखक-कवि-विद्वानन के।।

शिक्षक समाज के विदुषकीय गुण से,
जगजहान मे घाक़ भईल।
रचना प्रकाशन के सपना
सहजे साकार भईल।।

आई हमनी मिलगुल के,
वर्षगांठ पर हुलाश करीं।
युवा नव श्रृजनकारण में

श्रृजन ला हुंकार भरी।।

कोटि-कोटिक धन्यवाद,
एकर जे श्रीगणेश कईल।
विद्वतजन के पहचाने ला
लुरगर जरीया भेंट गईल।

आर.पी. ‘राज’
इंटर कालेज रामचन्द्रपुर
गोपालगंज

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