वर्षा रानी-प्रीति कुमारी

वर्षा रानी 

वर्षा रानी का आगमन
पुलकित हुआ हमारा मन
गर्मी से व्याकुल वसुंधरा को,
जैसे मिला हो नव जीवन।
बाग़-बगीचे हरे हुए 
और हरा हुआ सब वन-उपवन
पुष्प सारे खिल गए,
और खिल उठा सारा मधुवन।
तरुवर से लिपटी वल्लरियाँ
जब गीत खुशी के गाती हैं
मन भाव-विभोर हो जाता है
जब वर्षा रानी आती है। 
प्यासी थी धरती कब से
प्यासे थे ये खेत-खलिहान
वर्षा के आते ही जैसे
लौट आए हों इनके प्राण।
बादलों की अट्ठखेलियाँ
और इन्द्रधनुष के सातो रंग,
भर देते कण-कण जन-जन में,
नये जोश व नए उमंग।

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापतिनगर समस्तीपुर

Leave a Reply