प्यारा गाँव-अर्चना गुप्ता

Archana

प्यारा गाँव

याद बहुत आता है मुझको
सुंदर सा मेरा प्यारा गाँव
हरे भरे से वो बाग बगीचे
पट खोले कलियाँ आँखे मींचे
धरती का स्वर्ग यहीं समाए
सब दांव पेंच रह जाए पीछे
धमा-चौकड़ी मचाते बच्चे
बरगद की वो ठंढी छाँव
सच, याद बहुत आता है मुझको
सुंदर सा मेरा प्यारा गाँव। 
बैलगाड़ी से सब जाते मेले
सैर-सपाटे और चाट के ठेले
गाँव की सोंधी माटी संग
रंग-बिरंगे खेल थे खेले
छूट गए वो दोस्त पुराने
दिखते नहीं अब कोई ठाँव
सच, याद बहुत आता है मुझको
सुंदर सा मेरा प्यारा गाँव। 
प्रकृति की हर मोहक अदाएँ
घिर घिर आए काली घटाएँ
मोर, पपीहा, कोयल जब गाए
मधुर संगीत मन को लुभाए
धूमिल हो गया वो समां सुहाना
चलाते थे जो कागज की नाव
सच, याद बहुत आता है मुझको
सुंदर सा मेरा प्यारा गाँव। 
खेतों में गाता मल्हार किसान
करता परिश्रम बिना विश्राम
हाड़-मांस को जला जलाकर
मिल न पाता उसे उचित ईनाम
शहर के व्यापारी खून है चूसते
पर सदा साथ निभाते पूरा गाँव
सच, याद बहुत आता है मुझको
सुंदर सा मेरा प्यारा गाँव।

अर्चना गुप्ता
अररिया बिहार

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