बिहार की गौरवगाथा-नूतन कुमारी

बिहार की गौरवगाथा

चहुं ओर फैली हरियाली है,
पावन सी बहती गंगा है,
कहीं गाँधी की हुंकार है तो,
कहीं ज्ञान भरा नालंदा है,
तेरी गोद में पोषित हुए हर क्षण,
ऐ बिहार तुझे कोटि-कोटि नमन!

विश्वविद्यालय नालंदा था,
ज्ञान का सर्वप्रथम भवन,
शून्य का जिसने ज्ञान दिया,
खगोलीय विद्या का प्रमाण दिया,
उस आर्यभट्ट को दिया तूने जनम
ऐ बिहार तुझे कोटि-कोटि नमन!

शिक्षा का स्तर हो अलौकिक,
हो व्योम को चूमने की चाहत,
हमारे बिहार की धरा से प्रेम कर,
पाओ आशियाने में सुकून व राहत,
आओ निहारें बिहार के जगमग रतन,
ऐ बिहार तुझे कोटि-कोटि नमन!

रेणु दिवाकर बेनीपुरी से,
बढ़ा बिहार की शान है,
विश्व प्रसिद्ध पशु मेले में,
सोनपुर का उत्कृष्ट नाम है,
सुंदर बिहार को बनाएं सुंदर चमन,
ऐ बिहार तुझे कोटि-कोटि नमन!

मोक्षदायिनी धाम विश्व का,
आध्यात्म नगरी बोधगया में है,
जैन महावीर सा रत्न अलंकार,
दिया वैशाली की धरती ने है,
आओ सहेजें इसका गौरव करके जतन,
ऐ बिहार तुझे कोटि-कोटि नमन!

चम्पारण का नील आंदोलन,
सत्याग्रह था प्रथम गाँधी का,
छपरा के डॉ. राजेंद्र प्रसाद,
राष्ट्रपति देशरत्न प्रथम बने,
आओ साकार करें इनके सपनों को हम,
ऐ बिहार तुझे कोटि-कोटि नमन!

स्वरचित व मौलिक:
नूतन कुमारी (शिक्षिका)
डगरुआ, पूर्णियाँ
बिहार

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