हम हैं बिहारी-कुमार संदीप

हम हैं बिहारी

सिक्खों के दसवें गुरू गोविंद सिंह की
पावन-पुनीत जन्मभूमि है बिहार
भगवान बुद्ध,
जिन्होंने विश्व को सिखाया
शांति और अहिंसा का पाठ
उनकी जन्मभूमि है बिहार
हमें गर्व है कि हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

शून्य की खोज की जिसने
संपूर्ण जगत को दिया अमूल्य उपहार
शून्य के उस अविष्कारक की जन्मभूमि है बिहार
दर्शन और अर्थशास्त्र के ज्ञाता चाणक्य की जन्मभूमि है बिहार।
हाँ, हमें है गर्व कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

शहनाई वादन के क्षेत्र में जिन्होंने
देश-विदेश में लहराया है परचम
उस महान शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान की
जन्मभूमि है बिहार
हाँ, हमें है गर्व कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

अपनी लेखनी की वजह से जिन्होंने जन-जन के हृदय में स्थान बनाया साहित्य-जगत में नव-प्रतिमान रचे
रश्मिरथी, उर्वशी के शिल्पकार
महाकवि रामधारी सिंह दिनकर
की जन्मभूमि है बिहार
हाँ, हमें है गर्व कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

जहाँ भाषा-बोलियों की है भरमार
जहाँ अंगिका, मैथिली, भोजपुरी,
मगही, वज्जिका की मिठास में
घुलता है शब्दों का विन्यास।
सचमुच वही पुनीत और पावन भूमि है बिहार की
हाँ, हमें है गर्व कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

लिट्टी-चोखा, सत्तू और ठेकुआ है
जहाँ का सर्वप्रिय-स्वादिष्ट व्यंजन
चहुँ ओर फैलती है ख़ुशहाली जहाँ
जब आती है होली और दीपावली
छठ-पर्व है जहाँ का पावन त्यौहार
वो पावन और पुनीत भूमि है बिहार
हाँ, हमें है गर्व कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

माई करती है बेइंतहा प्रेम अपने लाल से
जब कभी भी होता है वह आँखों से ओझल
हर दिन पूछती है हाल माँ अपने लाल का
रोती है माई, जब जाता है लल्ला घर से दूर
अपनत्व का अध्याय संसार को सिखलाता है यही बिहार
हाँ, हमें है गर्व कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

धूप की तपिश सहकर
माँ धरती के स्नेह से अन्न उगाते हैं
तभी धरती-पुत्र कहलाते हैं किसान
कभी बैठकर माँ धरती की गोद में
रोते हैं बहुत, जब सताती है गरीबी और लाचारी
पर है उन्हें भी गर्व बहुत कि
हम हैं बिहारी हाँ, हम हैं बिहारी।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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