अनंत अंतरिक्ष की कल्पना-अपराजिता कुमारी

Aprajita

अनंत अंतरिक्ष की कल्पना

अंतरिक्ष की परी ‘कल्पना’
करोड़ों बेटियों की प्रेरणा
सपनों को जीना
सिखा गईं, कल्पना।

अनंत अंतरिक्ष में,
उड़ान भरने की
कल्पना को साकार
कर गईं, कल्पना।

कल्पना कहती
अंतरिक्ष भविष्य है
आपका जो भी लक्ष्य है
उसकी तरफ देखो
और उसका पीछा करो।

1 जुलाई 1961 को
हरियाणा, करनाल में
मां संज्योती के घर जन्मी
चार भाई-बहनों में
सबसे छोटीी, कल्पना।

अक्सर पिता जी
बनारसी लाल चावला
से पूछती, अंतरिक्ष यान,
कैसे उड़ते हैं?
क्या मैं भी उड़ सकती हूं?

वर्ष 1982 पंजाब
इंजीनियरिंग कॉलेज से
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
की डिग्री लेने वाली
पहली महिला ग्रेजुएट
बनी कल्पना।

वर्ष 1984 टेक्सास यूनिवर्सिटी से
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
की डिग्री ले
कोलराडो यूनिवर्सिटी से
एयरोस्पेस में पीएचडी की
डिग्री प्राप्त की, कल्पना।

वर्ष 1988 में
अंतरिक्ष यात्रा के
सपने साकार होने की
राह मिली
एस्ट्रोनॉट के रूप में
चयनित हुई, कल्पना।

14 नवंबर 1997
अंतरिक्ष मिशन में
जाने वाली पहली
भारतीय महिला बनीं,
कल्पना।

16 दिन के मिशन से
5 दिसंबर 1997 को
पृथ्वी पर लौटी और
यान से उतरते ही कहा,
“अपने अगले मिशन पर
जाने को तैयार हूंँ”।

16 जनवरी 2003 को
अपने दूसरे मिशन के लिए
उड़ान भरीं और
1 फरवरी 2003,
लैंडिंग से 16 मिनट पहले
STS-107 स्पेस शटल,
आग के गोले में बदल गया।

और अंतरिक्ष को
प्यार करने वाली
अंतरिक्ष के सपने
देखने वाली
अनंत अंतरिक्ष में
उड़ान भरने वाली
अंतरिक्ष में ही
विलीन हो गई,
कल्पना।

देश-विदेश, धरती-अंतरिक्ष
सुनहरे अक्षरों में
लिखा गईं अपना नाम,
कई पीढ़ियों को
दे गई यह पैगाम
सितारों के आगे जहां
और भी है।

सपनों को जीना
सिखा गई कल्पना
अंतरिक्ष की परी
करोड़ों बेटियों की प्रेरणा
बनी, ‘कल्पना’।

अपराजिता कुमारी
रा. उ. उ. मा. वि. जिगना जगरनाथ
हथुआ गोपालगंज

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