आज ये सोचें-संगीता कुमारी सिंह

आज ये सोचें

हम कहाँ हैं? आज ये सोचें,
हम यहाँ क्यों हैं? आज ये सोचें,
हर गली, हर मोड़ पर,
खड़ा है कोरोना,
बच्चों की किलकारियां कहाँ हैं?
आज ये सोचें,
क्योंनहीं बरतेंगे हम,
सतर्कताऔर सजगता,
मानवता को कैसे बचाएं,
आज ये सोचें,
वीरान विद्यालयों, उदास बच्चों को,
फिर से कैसे,
सज़ाएँ आज ये सोचें,
मास्क पहने, हाथ धोएं,
दूरी बरतें हम,
सावधानी का आदत बनाऐं,
आज ये सोचें,
फिर से न दबोचे महामारियां,
मानवता को,
कुछ ऐसा हम करें,
आज ये सोचें,
न बरतें लापरवाही,
रखें ख्याल,
वर्ना ये गलतियाँ,
न बन जाए जान भारी,
आज ये सोचें।

संगीता कुमारी सिंह
शिक्षिका भागलपुर

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