शायद इसने कुछ तो अच्छा पाठ पढ़ाया-चॉंदनी झा

शायद इसने कुछ तो अच्छा पाठ पढ़ाया

कोरोना सी भयंकर बीमारी आई पड़ोसी चीन से,
फैली सारी दुनिया में, भारत में भी आई श्रीलंका, बंगलादेश और मालद्वीप से।।
आपदा ऐसी बनी ये, कोई व्यवस्था काम न आया।
गांव हो या शहर बड़ा इस आफत से हर कोई डरा।
मौत का तांडव दिखाकर, चारों और कोरोना ने हाहाकार मचाया।।
कोरोना के कारण हर सांस है अधूरी,

कोरोना वायरस ने सचमुच सब को डराया।
बड़े-बड़े देशों में भी जाकर कोरोना ने कम उत्पात नहीं मचाया।
लाशों का अंबार लगा, हम नहीं सर्वश्रेष्ठ, यह बताया।
जिंदगी छीन लेती है यह, यही डर हर दिल में समाया।।
हर डर हो गई गौण, हर जगह बस कोरोना का खौफ समाया।
कम समय में ही इसने अपना नाम कमाया, शायद 2020 से अभी तक में सबसे ज्यादा टी• आर• पी• पाया।
हर न्यूज हर पत्रिकाओं में जगह बनाया।।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का काम बढ़ाया,

हम यूं ही जिए जा रहे हैं या कुछ ••••?

और जिंदगी जन्म से मौत तक का सफर है यह बताया।।
इसने लोगों को लोगों से दूर किया,

घर में रहने, काम ना करने की इच्छा को साकार कराया।
फिर भी इसने शायद, “कुछ तो अच्छा पाठ पढ़ाया”।

इसके लीले निराले, सच झूठ का भी पहचान कराया।
प्रकृति से प्यार करना सिखाया,
लोगों ने मजबूरी में ही सही, स्वच्छता को भी अपनाया।
जो हम जानकर भी अनजान रहते थे,

ऐसे सबक को याद कराया।
दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी,

इसे सबको रटवाया।
सम्मानित वृद्धजन का रखें ज्यादा ख्याल,

कोरोना ने यह समझाया।
रिश्ते नाते हैं जरूरी, परिवार में विश्वास बढ़ाया।
अल्लाह, ईश्वर याद कराया,

कोरोना की विभीषिका के कारण,

भक्ति में सब का आस्था बनाया।
हम इतने भी व्यस्त नहीं यह कोरोना ने बताया।। सीमित रहन-सहन में जिए, फिजूलखर्ची घटाया।
बच्चों संग समय दे,

डिजिटल दुनिया से ज्यादा से ज्यादा पहचान कराया।।

जो डर गया सो मर गया, नकारात्मकता हटाओ, सकारात्मकता का पाठ पढ़ाया।।
ज्यादा दिखावा, ऊंचे फैशन नहीं,

धैर्य, संयम है जरूरी,

इस बात से सबको अवगत कराया।
कौन किसी के कितने काम आए,

अपने पराए का भेद कराया।।
चोरों, बेईमानों का खुलासा कराया,

डॉक्टर, नर्स है भगवान इस जहां के,

यह बात समझाया।
गुलामी से हम ऊब रहे हैं,

कोरोना ने आजादी का उचित मूल्य बताया।
प्रतिरक्षा तंत्र हो मजबूत, तो न कोई रोग भारी, स्वस्थ भोजन है कितना जरूरी,

यह एहसास कराया।
पैसों से ज्यादा प्यार की जरूरत है हमें,

इस बात का हमें ध्यान कराया।

मानवता मरती जा रही है, हम जानते थे,

पर कोरोना ने इसे स्पष्ट कराया।।

प्रकृति हमारी जननी, हम प्रकृति के संतान, प्रकृति से हमारा रिश्ता और मजबूत बनाया।
अपनी मौत के कहर हर तबके में बरपा कर अमीर-गरीब का भेद मिटाया।

कोरोना एक से दो होते जाते हैं,

इस तरह इसने हमे एकता का संदेश सिखाया।
यह ईमानदारी से सबपर करता वार इसलिए

इतने दिन टिक यह पाया।
बच्चों को कम नुकसान करता,

बच्चे मन के सच्चे यही बात बताया।।
आगे शायद हम प्रकृति से जुड़ेंगे,

सभी ने ऐसी उम्मीद जताया।
हर काम बाद में कोरोना के कारण,

भगवत भजन में हर कोई रमाया।
सब कोई जानता, हमने प्रकृति से खेला,

इसलिए प्रकृति ने यह कहर मचाया।।
कोई जीता कोरोना से,

तो कितनों को कोरोना ने हराया।
सच तो यह है कि, “इसने शायद

कुछ तो अच्छा पाठ पढ़ाया”।।

चॉंदनी झा

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