महिलाएँ एवं कुटीर उद्योग-गौतम भारती

Gautam

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महिलाएँ एवं कुटीर उद्योग

अब महिलाओं को दबाना मुश्किल है, मुश्किल है।
ये न समझो कि 2 पुरुष के सर पे ये बोझिल है l
अब महिलाओं को दबाना मुश्किल है, मुश्किल है।।

खुले हैं क्षेत्र इनके सारे,
दिये हैं नेत्र इन्हे ऊपर वाले।
बल पे इनकी कर्मठता के 2
पाए हैं हर मंजिल दुनिया वाले,
हर मंजिल दुनिया वाले।
अपनी विनम्रता के साये में
ग़र सब दुःख सहती है 2
तो ये न समझो कि ये बुजदिल है।
अब महिलाओं को दबाना मुश्किल है, मुश्किल है। 

सुन्दर खिलौना बनाकर
या कुटीर उद्योग अपनाकर।
अपने हिम्मत को आधार बनाकर,
या मूर्तियों की कतार लगाकर।
दिखाया इन्होने कई मुक़ाम पाकर 2
इनके लिए न समझो
कोई मुक़ाम पाना मुश्किल है।
अब महिलाओं को…………..।।

रंग-बिरंगे खिलौनों के साथ
रस भरा आचार है।
पापड़ों की कुर-कुराहट के साथ
अब न ये लाचार है
अब न ये लाचार है।।


घर पर तैयार इन सामग्रियों का
स्वागत करता बाजार है।
अब न ये लाचार है,
अब न ये लाचार है।।
अर्थिक स्तर उठाकर, जीवन स्तर सुदृढ़ बनाकर 2
शहरी और ग्रामीण महिलाओं के बीच
अब गुडविल है गुडविल है।
अब महिलाओं को दबाना मुश्किल है,
मुश्किल है।।

गौतम भारती
बनमनखी, पुर्णियाँ 

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