मित्र ऐसा हो-प्रभात रमण

मित्र ऐसा हो

जीवन में एक मित्र
कृष्ण जैसा चाहिए
जो संग हो तो जीत निश्चित हो ।
और मित्र एक कर्ण भी तो चाहिए
जो सदा साथ दे जब हार सुनिश्चित हो ।
वो मित्र भी चाहिए
जो बिन मांगे सुदामा को सब दे दे ।
मित्र सुग्रीव होना चाहिए
जो राम को परिणीता दे ।
मित्र विभीषण होने चाहिए
जो धर्म को समझे ।
मित्र जटायू होने चाहिए
जो प्राण अपनी दे ।
मित्र त्रिजटा जैसी हो
जो सीता का एकांत हटाए ।
मित्र कुंती होनी चाहिए
जो गांधारी को राह बताए ।
मित्र कान्हा होने चाहिए
जो द्रौपदी की लाज बचाए ।
मित्र चेतक होने चाहिए
जो राणा बचाए ।
मित्र सूरज होने चाहिए
जो चन्दा चमकाए ।
मित्र मेघ जैसा हो
जो मिट्टी की प्यास बुझाए ।
मित्र धरती जैसा हो
जो जीवों की भूख मिटाए ।
मित्र ऐसे चाहिए
जो घात ना करे ।
मित्र ऐसे हो जो
शत्रुता की बात ना करे ।
मित्र ऐसा चाहिए
जो आगे बढ़ाए ।
मित्र ऐसा हो
जो मौत से लड़ जाए ।
मित्र ऐसे होने चाहिए
जो जीवन भर साथ निभाए ।
मित्र ऐसे चाहिए
जो मित्रता की डोर सजाए ।
सच्चा मित्र वो है
जो सुख का “प्रभात” ले आए ।।

प्रभात रमण
मध्य विद्यालय किरकिचिया
प्रखण्ड – फारबिसगंज
जिला – अररिया

Leave a Reply