बेटी-प्रभात रमण

बेटी बीजों को कोंपल बनने दो कलियों को तोड़ो मत तुम बेटी तो घर की लक्ष्मी है उससे मुँह मोड़ो मत तुम घर में चहकती रहती है कटुता भी हँस…

राखी-प्रभात रमण

राखी राखी का बंधन ना बंधे तो क्या राखी का त्योहार नही ? है जिस भाई की बहन नहीं क्या उसे है रक्षा का अधिकार नही ? पूछो उस भाई…

कैसे-प्रभात रमण

कैसे  माँ भारती के दिव्य रूप को मैं दिवास्वप्न समझूँ कैसे ? इसके परम पूण्य प्रताप को मैं भला भूलूँ कैसे ? वीरों के शोणित धार को कैसे मैं नीर…