आलू की शादी-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra

Jainendra

आलू की शादी

आलू राजा लेकर चले बारात,
साथ सभी सब्जी की जमात।
गोल मटोल हैं दुल्हा राजा,
संग में गाड़ी और बैंड बाजा।
भिंडी, करेला, कोहड़ा नाचे,
बैंगन पंडित बन पोथी बाचे।
प्याज कुमारी बनी दुल्हनिया,
मग्न हो नाचे पहन पैजनिया।
कद्दू भैय्या आज बहुत उदास,
सबसे लंबू दिखते जो खास।
मिर्च, धनिया मिल गाते गीत,
कितनी सुंदर आलू की मीत।
फूलगोभी भी खूब सजी है,
बंदा गोभी को मिर्च लगी है।
नेनुआ, कैता, बोरा, कटहल,
सबसे अलग-थलग है परवल।
आज़ खुशकिस्मत है मेरा साथी,
सभी सब्जियां हैं बने बाराती।
कब मेरा शुभ दिन आएगा,
मेरे सिर भी सेहरा लाएगा।
गाजर, मूली, चुकंदर, शलजम
सबने लहराया अपना परचम।
भोज नहीं होंगे बिना सलाद,
अंत में टमाटर की आई याद।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि
बाढ़ पटना

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