बम शिव कहके- मधुमति छंद वर्णिक – राम किशोर पाठक १११-१११-२ उपवन महके। खर खग चहके।। तन-मन बहके। बम शिव कहके।। पुलकित रहना। हिय निज महना।। अपयश दहना। सुख सब…
गणेश- कहमुकरी – राम किशोर पाठक
गणेश- कहमुकरी पेट बड़ा हर-पल दिखलाता। लड्डू झट-पट चट कर जाता।। मोहित करता सुनहरा केश। क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०१।। छोटे-छोटे काले नैना। हर लेते मेरे चित चैना।। देता…
शिक्षा और समाज – नीतू रानी
शिक्षा और समाज बिना शिक्षा के मिटै न अंधकार। शिक्षा से समाज का होता अधिक विकास, पढ़-लिखकर शिक्षित होंगे हमारे देश के सभी समाज। हमारे समाज में बच्चे, बूढ़े, नर-…
रूपघनाक्षरी – शृंगार – एस.के.पूनम
ऊँ कृष्णाय नमः विधा:-रूपघनाक्षरी। विषय:-शृंगार। उठती हैं सागर में, तरंगें हजारों बार, सिन्धु करे जल राशि,से शृंगार बार-बार। केवट है नैया पर, गाते गीत मलहार, झूम रहे संगी-साथी,पहुँचे हैं उस…
सत्य अगर बोलूं..रामकिशोर पाठक
सत्य अगर बोलूँ- महा_शशिवदना छंद सत्य अगर बोलूँ, रूठ सभी जाते।झूठ कभी बोलूँ, संग चले आते।। मुश्किल होती है, सत की हर राहें।मान सहज लेते, उड़ती अफवाहें।।कौन बताएगा, काश समझ…
शब्दों के मोती..रामकिशोर पाठक
शब्दों के मोती- महा_शशिवदना छंद शब्दों के मोती, मैं चुनकर आऊँ।कैसे भी उनको, सुंदर कर जाऊँ।। उनसे है बनता, गीतों की माला।कानो में घुलती, बनकर मधुशाला।।गाकर जिसको मैं, नित चित…
मेरा जीवन..रामकिशोर पाठक
मेरा जीवन- गौरा सवैया २१२*६+२२२+११ जो हमें तू दिया नेह से हूँ लिया सर्व स्वीकार संजोया है मन।साथ देते रहा मैं सदा आज तो संग में है नहीं मेरा ही…
गणेश वंदना..राम किशोर पाठक
गणेश वंदना- सीता छंद देव तेरी वंदना जो, नित्य ही गाया करूँ। दिव्य तेरे रूप का मैं, दर्श जो पाया करूँ।। साधना कैसे करूँ मैं, विज्ञता दाता नहीं। याचना कैसे…
तू बचा ले .रामपाल प्रसाद सिंह
सीता छंद वर्णिक 15 वर्ण 2122-2122=2122-212तू बचा ले डूबने से।**************************लूटती लज्जा हमारी,नैन क्यों ना खोलते।खो गया है धैर्य मेरा,हो तराजू तोलते।।तू कहाॅंं मैं हूॅं कहाॅं जी,हो गई दूरी कहीं।ऑंख मेरी…
जीवन और जल..गिरिंद्र मोहन झा
जीवन और जलकहते भी हैं, जल ही जीवन है,जीवन वही, जैसा तन-मन है,जीवन मानो तो ईश्वर का वर है,है यह जल के सदृश, चर-अचर है,तुम इसे जैसी आकृति देना चाहो,…