अंतर कुछ कर दिखा इस जमाने में बता दे दुनियाँ को नहीं है मानव-मानव में अंतर आज दिख रहा जो जमाने मे अंतर ये अंतर न रहेंगे निरंतर ये अंतर…
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माँ की ममता-अवनीश कुमार
माँ की ममता जब छोटा था, प्यारा था माँ का राज दुलारा था । करता गीली शैय्या था , फिर भी आँखों का तारा था । माँ की हँसी, माँ…
है शान हमारी हिन्दी-अवनीश कुमार
है शान हमारी हिंदी निज राष्ट्र के गौरव गान की शान बढ़ाती हिंदी सर्व भाषाओं की शिरोमणि है राष्ट्र भाषा हिंदी अलंकारों सी आभा बिखेरती राजभाषा हिंदी अप्सरा के अलंकारों…
गुरु की महिमा-अवनीश कुमार
गुरु की महिमा गुरु के चरण रज की जो माथे तिलक लगाता है अज्ञानी भी ज्ञानी चंद घड़ियों में बन जाता है। गुरु के हृदय से अपने हृदय की तार…
चेतावनी ईश्वर की-अवनीश कुमार
चेतावनी ईश्वर की समय करवट है ले रहा ईश मानव समक्ष एक प्रश्न रख रहा क्यों खुद को तू ईश्वर बतला रहा इतना अभिमान ठीक नहीं सृष्टि का निर्माण तेरे…
मंजिल दूर नहीं-अवनीश कुमार
मंजिल दूर नहीं कर्म निरन्तर करता चल व्यर्थ चिंतन छोड़ता चल रणनीतियाँ गढ़ता चल आत्ममंथन करता चल खुद से तुलना करता चल अपने पर विश्वास रख मिल जाएगी ही मंजिल…
विज्ञान को नमस्कार-अवनीश कुमार
विज्ञान को नमस्कार दूर अंधेरा छँट रहा मन मे एक विश्वास जग रहा लग रहा ये आखिरी प्रयोग होगा जीत का जश्न होगा कोरोना वैक्सीन का ईजाद होगा जन जन…
वतन-अवनीश कुमार
वतन ये वतन ये वतन हमारा चमन हमारा वतन तुझपे जान हम लुटाएंगे हमको तेरी कसम हमको तेरी कसम ये वतन है मेरी जान हम है इस चमन के बागबां…
वे स्वर्णिम दिन-अवनीश कुमार
वे स्वर्णिम दिन वे भी क्या स्वर्णिम दिन थे जब सारी शिक्षा गुरु चरणों में मिल जाया करती थी वेद वेदांग, उपनिषद, ऋचा, ऋचाएँ योग, तंत्र, मंत्र, भूगोल, खगोल की…
मोक्ष की प्रतिक्षा-अवनीश कुमार
मोक्ष की प्रतीक्षा थक जाता जब मानव का तन मन ईश्वर से मोक्ष दिलाने को करता नमन लेकिन आत्मा है उसे पुकारती, उसे धिक्कारती क्या चलने के पहले कुछ…