अंतर-अवनीश कुमार

अंतर कुछ कर दिखा इस जमाने में बता दे दुनियाँ को नहीं है मानव-मानव में अंतर आज दिख रहा जो जमाने मे अंतर ये अंतर न रहेंगे निरंतर ये अंतर…

है शान हमारी हिन्दी-अवनीश कुमार

है शान हमारी हिंदी निज राष्ट्र के गौरव गान की शान बढ़ाती हिंदी सर्व भाषाओं की शिरोमणि है राष्ट्र भाषा हिंदी अलंकारों सी आभा बिखेरती राजभाषा हिंदी अप्सरा के अलंकारों…

मंजिल दूर नहीं-अवनीश कुमार

मंजिल दूर नहीं कर्म निरन्तर करता चल व्यर्थ चिंतन छोड़ता चल रणनीतियाँ गढ़ता चल आत्ममंथन करता चल खुद से तुलना करता चल अपने पर विश्वास रख मिल जाएगी ही मंजिल…

वतन-अवनीश कुमार

वतन ये वतन ये वतन हमारा चमन हमारा वतन तुझपे जान हम लुटाएंगे हमको तेरी कसम हमको तेरी कसम ये वतन है मेरी जान हम है इस चमन के बागबां…

वे स्वर्णिम दिन-अवनीश कुमार

वे स्वर्णिम दिन वे भी क्या स्वर्णिम दिन थे जब सारी शिक्षा गुरु चरणों में मिल जाया करती थी वेद वेदांग, उपनिषद, ऋचा, ऋचाएँ योग, तंत्र, मंत्र, भूगोल, खगोल की…

मोक्ष की प्रतिक्षा-अवनीश कुमार

मोक्ष की प्रतीक्षा थक जाता जब मानव का तन मन ईश्वर से मोक्ष दिलाने को करता नमन लेकिन आत्मा है उसे पुकारती, उसे धिक्कारती   क्या चलने के पहले कुछ…