प्रकृति का श्रृंगार बसंत-भवानंद सिंह

प्रकृति का श्रृंगार बसंत  बह रही है वासंती बयार भिनी-भिनी खुशबू बिखेरती, चले पवन हर डार-डार हिय से करूँ इसका आभार। नव पल्लव लग जाते हैं वृक्ष और लताओं में,…

टीओबी हमारे सृजनहार-भवानंद सिंह

टीओबी हमारे सृजनहार  नील गगन में लाखों तारे टीमटिमाते रहते हैं सारे,  फिर भी अंधेरा मिटा न पाते एक अकेला चंदा मामा शीतल प्रकाश चहुँ ओर फैलाते, उसी तरह से…

एक भारतीय युवा संन्यासी-भवानंद सिंह

एक भारतीय युवा संन्यासी विश्व पटल पर हुए अवतरित थे युवा संन्यासी महान, नाम था उनका नरेन्द्रनाथ दुनियाँ में उनकी अलग है पहचान। आर्यावर्त्त की भूमि पावन है पाकर ऐसे…

उम्मीद-भवानंद सिंह

उम्मीद आशा और उम्मीद से भरा आया है नववर्ष यहाँ, पुष्पित-पल्लवित हो सबका जीवन नववर्ष दो हजार इक्कीस में।  नये साल का नया सवेरा शुभमंगल बन आया है, उषाकाल का…

प्रकृति-भवानंद सिंह

प्रकृति प्रकृति का उपकार है सबपर जिससे जीवन आसान हुआ, प्रकृति सबका पोषण करती है जिससे जीवन खुशहाल हुआ। पानी है अनमोल धरोहर प्रकृति ने दिया है हमें, इसके महत्व…

गाँव-भवानंद सिंह

गाँव  भारत गाँव का देश है यहाँ गाँव ही गाँव है, कच्ची सड़कें हैं पगडंडियाँ हैं । भारत गाँव का देश है यहाँ विशुद्ध हवाएँ हैं, शुद्ध पर्यावरण है हँसती…

संघर्ष-भवानंद सिंह

संघर्ष डटे रहो संघर्ष के मैदान में तुम, चाहे पथ में बाधा अनेक हो। एक जूनून पैदा कर कर मुकाबला अपनी नाकामी से। क्यों नाकाम हुए इस पर विचार करो,…