मित्र मित्र वह जो मन की बात को पढ़ ले मित्र वह जो सारे जहां में एक अनमोल रिश्ता गढ़ ले मित्र वह जो हमारे सारे दोष को आईने की…
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प्रेमचंद-अवनीश कुमार
प्रेमचंद क्यों है कथासम्राट का जन्मदिन उपेक्षित क्या उनकी रचनाएँ अब है दम तोड़ती क्या उस कलमकार की रचना में इतना बस भी दम नही कि कर सके हामिद बन…
कलम-अवनीश कुमार
कलम मैं जिसके हाथ बस जाऊँ उसके मैं भाग्य बनाऊँ। मैं हूँ बड़ी अनोखी चीज़ संशय इसमे करे न कोई लोग मुझे कई नामों से जानते कोई मुझे कलम, कोई…