नशामुक्त हो जहां-कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

नशामुक्त हो जहां नशामुक्त होगा अगर इंसान, करेगा सभ्य समाज का निर्माण। देकर अपनी रचनात्मक योगदान, कराएगा मानवता की पहचान। नशा का मत कर तू पान, संवार ले अपनी कीमती…

अन्नदाता-सुरेश कुमार गौरव

अन्नदाता जब तक कि मिट्टी से सने नहीं, अन्नदाता के पूरे पांव-हाथ! सदा खेतों में देते रहते ये, बिना थके-रुके, दिन-रात साथ!! हल, बैल, कुदाल, रहट, बोझा, पईन, पुंज और…

किसान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,

किसान खेती, बेटी एक समान होती है कृषक की जान, चर,अचर जीवों का पालक अन्नदाता है किसान। धूप-छांव हो या कि वर्षा कभी नहीं करता विश्राम, दिन-रात वह करता काम,…

चीरहरण-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,

चीरहरण द्रोपदी सभा में चीख रही लाज बचाए कौन? सभासद स्तब्ध सभी हैं नजर झुकाए मौन।। भीम, अर्जुन, धर्मराज बैठे हैं चुपचाप। वीरों की इस सभा को सूंघ गया है…