क्यों रोती है बेटियाँ जन्म लेकर क्या गुनाह किया पापा की बेटियाँ, दो आँगना की फुलवारी है फिर भी क्यों रोती है बेटियाँ। दो कुल को रौशन किया पापा की…
SHARE WITH US
Share Your Story on
स्वरचित कविता का प्रकाशन
Recent Post
- जाड़े की धूप.. मो आसिफ़ इक़बाल
- राज को न खोलिए..रामकिशोर पाठक
- आपस में प्यार हो.. जैनेंद्र प्रसाद रवि
- बम शिव कहके- मधुमति छंद वर्णिक – राम किशोर पाठक
- गणेश- कहमुकरी – राम किशोर पाठक
- शिक्षा और समाज – नीतू रानी
- रूपघनाक्षरी – शृंगार – एस.के.पूनम
- सत्य अगर बोलूं..रामकिशोर पाठक
- शब्दों के मोती..रामकिशोर पाठक
- मेरा जीवन..रामकिशोर पाठक