मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह

आज बच्चों में उल्लास, छुट्टी मिली है जो खास, चकचक ताजिया है, भरे जो विश्वास से। हिंदुओं का गाॅंव प्यारा, घर एक दो दुलारा, उनके त्योहार में ये, भरे प्रेम…