स्व कर्तव्य-विजय सिंह नीलकण्ठ 

स्व कर्तव्य जिसने हमें पहचान दिया  उसके प्रति वफादार रहें  दिनोंदिन उन्नति होगी  कटु सत्य को याद रखें। क्या मात पिता को छोड़ जगत में  दूजों को अपनाते हैं  दूजे…

बच्चों को दुग्ध प्रदान करें-विजय सिंह नीलकण्ठ

बच्चों को दुग्ध प्रदान करें जब मैदानों में पहुॅंचा  कुश्ती का दंगल शुरू दिखा  सबके मुख पर बस एक बात  तुम माॅं का दूध पीया है क्या? गर माॅं का…

अनमोल व अदृश्य मित्र-विजय सिंह नीलकण्ठ

अनमोल व अदृश्य मित्र   निराशा से मन भरा हुआ था आशा कहीं न दिखती थी सामने होते स्वादिष्ट व्यंजन पर न कोई जॅंचती थी। कारण था मुॅंह की बीमारी…

गाएँगे तेरा गुणगान-विजय सिंह नीलकण्ठ

गाएँगे तेरा गुणगान सुबह-सुबह जब सबसे पहले उठती है प्यारी चिड़िया उठकर कहती जागो बच्चो है जाग चुकी सारी दुनिया। नित्यक्रिया से निवृत्त होकर कर लो थोड़ा सा जलपान यदि…

सोचो कैसे बच पाओगे-विजय सिंह नीलकण्ठ

सोचो कैसे बच पाओगे  हर ओर गंदगी फैली है  पर्यावरण हो गई मैली है  क्या करेगा पौधा बेचारा  गंदगी देख थककर हारा।  न जल की निकासी दिखे कहीं  घर के…

माहवारी में स्वच्छता जरूरी-विजय सिंह नीलकण्ठ

माहवारी में स्वच्छता जरूरी माहवारी शारीरिक क्रिया है  इसको तुम जानो बेटी  बारह वर्ष बाद हर बेटी को  बिल्कुल निश्चित ही है होती। देख इसे न घबराना है  मात पिता…

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