तटस्थता-अर्चना गुप्ता

तटस्थता  सभ्यता के इस नए दौर में वो बेबाक़पन,  अपनों संग ठहाके और  अल्हड़पन जाने कहाँ हो गए गुम ….. जिंदगी की धूप-छाँव में तपिश को झेलते झेलते मनुष्य का…