ज्ञान चक्षु अब खोल – एस.के.पूनम

विधा:-रूप घनाक्षरी आनंद की तलाश में, भटकता यहाँ-वहाँ , पर द्वंद साथ लिए,घूम रहा गोल- गोल। चल कर थक गया, छाया में आराम किया, मंजिल है दूर अभी,अपने को रहा…