श्रम का मोल – संजीव प्रियदर्शी

श्रम तो है अनमोल जगत में महिमा इसकी अतुल-अपार जिसने मूल पहचाना इसका कदमों में पाया निखिल संसार श्रम ईश्वर है श्रम ही पूजा, है यह जीवन का आधार श्रम…

शिल्पजीवी को सत्कार – एस.के.पूनम।

विश्व धरा सृष्टिकर्ता, अद्भुत हैं विश्वकर्मा, दुनिया है अलंकृत,नमस्कार बारम्बार। श्रमसाध्य साधना के, अनन्त बधाइयों में, प्रणम्य प्रणेता को है एकमेव अधिकार। सुंदर द्वारिका बना, लंकेश महल बना, शिल्पकला बेमिसाल,शिल्पजीवी…

देश के कर्णधार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

लेखक, शिक्षक, सेना, कर्मचारी राजनेता, चिकित्सक,वैज्ञानिक सभी कर्णधार हैं। राष्ट्र निर्माण खातिर जो भी करें योगदान, काश्तकार मजदूर, बड़े शिल्पकार हैं। तन -मन- जतन से परिश्रम खूब करें, छोटा-बड़ा नहीं…