दर्पण की अदाकारी सोलह श्रृंगार कर जब दर्पण सम्मुख इतराते सब, सुन तारीफें खुद की मन ही मन इठलाते सब।। दूसरों के सामने झूठ बोलने से नहीं कोई कतराते जब,…
SHARE WITH US
Share Your Story on
स्वरचित कविता का प्रकाशन
Recent Post
- सत्य अगर बोलूं..रामकिशोर पाठक
- शब्दों के मोती..रामकिशोर पाठक
- मेरा जीवन..रामकिशोर पाठक
- गणेश वंदना..राम किशोर पाठक
- तू बचा ले .रामपाल प्रसाद सिंह
- जीवन और जल..गिरिंद्र मोहन झा
- योग दिवस..कार्तिक कुमार
- धन्यवाद टीचर्स ऑफ बिहार – एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
- सर्द हवा-राम किशोर पाठक
- जमाने में – गजल – राम किशोर पाठक