पेड़ लगाएँ पेड़ लगाएँ-प्रीति कुमारी

पेड़ लगाएँ पेड़ लगाएँ आओ मिलकर पेड़ लगाएँ नाचे गाएँ खुशी मनाएँ   पेड़ लगाएँ पेड़ लगाएँ । पेड़ों से हरियाली आती बागों में कोयलिया गाती, वन-उपवन में फूल हैं खिलते…

राखी-प्रीति कुमारी

राखी सबसे प्यारा सबसे न्यारा, राखी का त्योहार हमारा । भाई-बहन के स्नेह का बन्धन रक्षा सुत्र और रोली चन्दन । आरती की थाली लेकर बहन भाई का करती अभिनंदन…

निर्मल रचनाकार-प्रीति कुमारी

निर्मल रचनाकार हिन्दी साहित्य के वे निर्मल रचनाकार, जिन्होंने दिया ज्ञान को है ऐसा आकार जिनकी रचना का है ऐसा आधार जिससे मिट जाए जीवन का अन्धकार जो लिखते हैं…

वर्षा रानी-प्रीति कुमारी

वर्षा रानी  वर्षा रानी का आगमन पुलकित हुआ हमारा मन गर्मी से व्याकुल वसुंधरा को, जैसे मिला हो नव जीवन। बाग़-बगीचे हरे हुए  और हरा हुआ सब वन-उपवन पुष्प सारे…