प्रकृति-प्रियंका प्रिया

प्रकृति हो व्याकुल मन की; व्यथित क्षुधा तुम, अमृत तुल्य; नीर सुधा तुम।। हे प्रकृति रुपी; ममता मयी, तू सदा रहे कालजयी, तू गोद में लिए अपने खड़ी, हे प्रकृति…

दर्पण की अदाकारी-प्रियंका प्रिया

दर्पण की अदाकारी सोलह श्रृंगार कर जब दर्पण सम्मुख इतराते सब, सुन तारीफें खुद की मन ही मन इठलाते सब।। दूसरों के सामने झूठ बोलने से नहीं कोई कतराते जब,…