आज़ादी के नगमें
स्वर्णिम इतिहास की गाथा,
संजोकर दिल में अपने हम,
ख़ुशी के गज़लें, आज़ादी के हम नग्में सुनाएंगे।
पहुंचे प्रेम की पराकाष्ठा अपने चरम सीमा पर,
सभी के दिल में अमृत प्रेम रस की धारा बहाएंगे।
शहीदों की शहादत ने दिया उपहार कुंदन सा,
इसी सरताज के संग आज़ादी का ज़श्न मनाएंगे।
सुनो वतन के रखवालों, कर्तव्य विमुख न होना तुम,
ले लो प्रण कि अपने जान की बाज़ी लगाएंगे।
हरेक संताप की घड़ियां है काटी हमसब ने मिलकर,
हैं हमसब एक, एकता का बल रिपु को दिखाएंगे।
झंडे की शान से बढ़कर न कोई दूसरा सुख़ हो,
हृदय में देशप्रेम का ऐसा अलख़ जगाएंगे।
बढ़ें सौंदर्य तन का आज, तेरी मिट्टी से भारत मां,
प्रेम कफ़स में बाँध तिरंगा मन में भी फ़हराएंगे।
नूतन कुमारी
पूर्णियाँ, बिहार
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