आया दशहरा
दंभ दशानन का हुआ दहन
दसों दिशाओं में फैला आनंद
बाण से सत्य की असत्य मारा गया है
देखो दशहरा आया है।
अधर्म पर विजयी धर्म हुआ
श्रीराम ने संकल्प पूर्ण किया
अभिमान अभिमानी का जीर्ण-शीर्ण हुआ
धैर्य और विश्वास सीता का जीता
जिसने हरा था सीता को
आज वही कपटी रावण हारा है
देखो दशहरा आया है।
दहन की धधकती ज्वाला
रावण के पुतले का
यह केवल उठती लपटें ही नहीं
घमंड किसी घमंडी पाखंडी का जला है
राख हो रही एक कामांध दृष्टि
और प्रेम विश्वास सिया का
आलौकिक हुआ जा रहा है
आज दशहरा है।
अहंकार दर्प कितना भी हो प्रबल विनय क्षमा से ही इंसान शोभित है
जब नर में मिले राम
नारी दुर्गा सीता का हो धाम
रावण का दहन निश्चित होता है
और पुण्य से पुलकित हुई यह वसुंधरा है
हां आज दशहरा है।।
बीनू मिश्रा
भागलपुर