अहंकार
अहंकार के वश में
जब मनुष्य हो जाता है,
अहंकारी बन बैठ वह
अपनी सब सुध-बुध गँवाता है,
विनाश की राह के दल-दल में
वह धसते ही चला जाता है,
इसकी परवाह किए बिना वह बस,
सर्वश्रेष्ठ होने का अपना
गुणगान ही गाता हैं,
ज्ञानी होते हुए भी मूर्खता की
राह को अपनाता है,
वक्त ऐसा भी आता है,
जब वह खुद ही खुद का
दुश्मन बन जाता है,
तब व्यक्ति जिसकी कभी
कल्पना भी न कर पाता है,
उसका परिणाम पूरे वंश को
भोगना पड़ जाता है,
बुद्धि भ्रष्ट होकर अंत उसका
पतन की ओर ही जाता है,
दोष यह है ऐसा जिसमें राजा हो
या कोई विद्वान,
या चाहे वह कितना भी भक्त हो महान,
इसके दुष्प्रभाव से कोई नहीं बच पाता है,
अपने गुणों से जो दूसरों को भी
गुणवान कर जाता है,
अपने प्रतिभा का अहंकार वह
किसी को न दिखलाता है,
सच में वही व्यक्ति ज्ञानी कहलाता है।।
✍️प्रियंका कुमारी ✍️
विद्यालय –> प्राथमिक विद्यालय रहिया टोला
प्रखंड –> बायसी
जिला –> पूर्णिया ( बिहार)