ऐसा हो अपना घर
एक ऐसा घर बनायें,
जो हमें बाधाओं से बचाए।
खुशियाँ जहाँ हो अपार,
प्रेम हो जिसका आधार।
सबके भाव अनमोल हो,
द्वेष और ईर्ष्या का न मोल हो।
हँसी – खुशी का माहौल हो,
सबके मीठे बोल हो।
प्रकृति के सांनिध्य में,
स्वच्छता का जो प्रतीक हो।
गाँव में हो या शहर में,
घर अच्छाई का तस्वीर हो।
सुखमय हो जीवन जहाँ,
रिश्ते जिसके मधुर हों।
एकता ही सूत्र जहाँ,
वो घर, घर नहीं मंदिर हो।
फ़र्ज से सभी संपूर्ण हों,
स्वप्न जहाँ सभी के पूर्ण हों।
चलो एक ऐसा घर बनायें,
जो खुशियों से भरपूर हो।
अनुज कुमार वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा, कटिहार
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