ऐसे थे गाँधी
प्रेम सद्भावों के मूरत बापू
सत्य अहिंसा के पुजारी
युगों तक रहेगी दुनियाँ
तेरे सदकर्मो की आभारी।
सरल जीवन दिव्य विचार
आजीवन परोपकार
सत्य में ईश्वर को ढूंढ
सुवासित हुआ सुविचार ।
हिंसक प्रतिकूलन मिटा
अहिंसक अनुकूलन दिया
अनैतिक गठबंधन उखाड़
नैतिक संवर्धन किया।
शोषित पीड़ित जनता के
कलुषित निस्तेज मानवता के
संरक्षक बन भू पर आए
अन्तर्मन छवि उज्जवल छाए।
अखिल विश्व के नायक बन
शक्तिपुंज के संवाहक बन
वर्चस्व को ललकार दिया
इन पदचिन्हों पर सब आजाद हुआ।
गाँवों की समृद्धि को
विश्व की संस्कृति को
भौतिकता संग नैतिकता पिरोकर
पुष्पित वसुधा चहुं ओर।
दिखा आध्यात्म विज्ञान समन्वय
न हो संसाधन का अपव्यय
न हो प्रकृति का अतिशय दोहन
पर्यावरण का सब करें संरक्षण ।
विकास हो विज्ञान संग
वृहद् उद्योग हों कुटीर के संग
ऐश्वर्य का बंटन हो स्वतंत्र
समरसता हो मूलमंत्र।
अस्पृश्यता का हो उन्मूलन
सभ्य समाज हो स्थापित
देशों की सीमाओं से बाहर
मनुजता हो शीर्ष प्रतिष्ठित।
पर पीड़ा निज पीड़ा जान
राम राज्य का किया आवाह्न
विश्व मानवता का अलख जगा
समन्वय संस्कृति का किया गुणगान।
सर्वस्व राष्ट्र को कर समर्पित
उड़ा हंस निस्सिम व्योम मे
“हे भगवान” पावन आर्त पुकार संग
आत्म परमात्म का हुआ समागम ।
दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म. वि.कुआड़ी अररिया