आजादी की कहानी
सुनो आज़ादी की लंबी कहानी
गुलामी की वो दास्तां थी पुरानी।
वो नंगे बदन पे थे कोड़े लगाते,
वो जालिम बहुत ही थे हमको सताते
भगाने फिरंगी को दुर्गा थी आई,
थी ऐसी हमारी इक लक्ष्मी बाई।
ये आज़ाद बिस्मिल भगत सिंह की कहानी,
सीचां खूं से माटी, लुटा दी जवानी।
हुए थे आज़ादी के लाखों दीवाने,
वतन के दुलारे वतन पे मर मिटने वाले।
गांधी ने भी जब था चरखा उठाया
सत्याग्रह का था आंदोलन चलाया।
थी सूनी वो आँचल थी तन्हा वो राखी,
दिया था खुशी से बेटों की कुर्बानी।
अंग्रेज भारत छोड़ो के नारे लगे थे,
था अंतिम ये संग्राम लाखों भिड़े थे।
लाखों की तादात में जान देकर।
हुए हम तब आज़ाद बलिदान देकर।
दिखाया था गाँधी ने इक सपना,
विदेशी त्यागो बनाओ सब अपना
माँ भारती को सब मिल सवारों।
अब तो जाती धरम के चश्मे उतारो।
वो मुल्ला वो पंडित वो बाबा एक है,
वो मंदिर वो मस्जिद वो काबा एक है।
कीमत आज़ादी की तुम न भूलो,
इसलिए सुनाई सिसकती कहानी।
निधि चौधरी
प्राथमिक विद्यालय सुहागी
किशनगंज, बिहार