अनमोल रिश्ते
हर रिश्ते होते अनमोल
रिश्तो का तुम मान निभाओ
जीवन हैं दो दिन का बसेरा
इसके मर्म को पहचान बनाओ।
सोच समझकर मन में अपने
विकृतियों का जंजाल बढ़ाओ
होती है इसमें हानि ही
पर सेवा में ध्यान लगाओ।
अंतस में सत्यकर्म को बसा कर
मुख पर सभी के हंसी ले आओ
पंचतत्व से सुंदर काया को
देवालय सा अनुपम बनाओ।
हर रिश्ते को सीचों करुणा से
ह्रदय की अतल गहराई का भान कराओ
हो यदि किसी को पीड़ा, व्यथा तो
समाधान का दीप दिखाओ।
यदि समझोगे रिश्तों को तुम
औ प्रेम सुधा बरसाओगे
फ़िर द्वार न आएँगे अवसाद
जीवन पथ पर ध्वजा फहराओगे।।
शालिनी कुमारी
शिक्षिका
राजकीय मध्य विद्यालय धनुषी
मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार )
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