अशोक कुमार-कच्चे धागे

Ashok

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कच्चे धागे

भैया राखी के बंधन को निभाना,
बहना को कभी भूल मत जाना।
कच्चे धागे के होते अनमोल रिश्ते,
भाई के रूप में आते हैं फरिश्ते।।

उस दिन बहना को याद करना,
कच्चे धागे होते हैंअनमोल गहना।
तुम्हारी कलाई पर उसे बांधकर,
आजीवन मुझे रक्षा करते रहना।।

बहना होती है दूसरे घर की गहना,
भूलने की कोशिश मत करना।
कलाई पर प्यार का इजहार कर,
चली जाऊंगी अपने घर।।

नए-नए कपड़े नए-नए वस्त्र,
माथे पर तिलक चंदन के।
कलाई में मोतियों के धागे,
करना रक्षा करने की वादे।।

रक्षा अनमोल धागे होते हैं,
लंबी जिंदगी के वादे होते हैं।
भैया इससे जीवन भर निभाना,
मुझे कभी भूल मत जाना।।

जब राखी का त्योहार आए,
मन में खुशियां फूले न समाए।
सात समुंदर पार रहकर भी बहना,
भाई की कलाई पर राखी बांधने चली आए।।

प्रेम के अटूट बंधन को,
कच्चे धागे की तरह सजोकर रखना।
जब तक शरीर में प्राण है,
इसे निभाते रहना।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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