बिहारी वाजपेयी
स्वतंत्र भारत के दसवें प्रधानमंत्री वो थे,
नाम था जिनका, अटल बिहारी वाजपेयी,
हिंदी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी थे,
उनकी शख्सियत से लुभायी दुनिया सारी।
आजीवन अविवाहित रहने को वह थे संकल्पित,
तभी तो सबने उन्हें भीष्म पितामह कहा था।
कर्तव्यनिष्ठ, लगनशील, असाधारण छवि थी उनकी,
2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी भी सिद्धहस्त कवि थे,
उनके पद्चिन्हों पर चले सदा, वो प्रकाशमान रवि थे।
पुत्र ने पाया काव्य-गुण, वंशानुगत परिपाटी से,
विरासत में मिले श्रेष्ठ गुण को, उन्होंने लगाया छाती से।
नहीं रहे अटल जी हमारे बीच, ये सोच के आँख भर आती है,
ऐसे स्वर्ण सितारा पाने को, धरती माता भी तरस जाती है।
तूने अंतिम सांस क्यों ली अटल, यह सोच के मन घबराता है,
तुझे श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, ह्रदय विदीर्ण हो जाता है।
नूतन कुमारी (शिक्षिका)
पूर्णियाँ बिहार