तिरंगा आन में उसकी शान में उसकी, हाँ! प्राण मुझे लुटाना है। कसम है भारत माता की सदा यूँ तिरंगा लहराना है। हो चाहे कोई कौम फ़िरंगी, हो चाहे या…
Author: Bhola Prasad Sharma
बालमन फिर झूले-भोला प्रसाद शर्मा
बालमन फिर झूले बालमन झूले विद्यालय में बालमन फिर झूले—–2 बच्चे भी आए गुरुवर भी आए, देख दूसरों को फूले न समाये। नन्हें भी आकर मन को हर्षाये, टप्पू टुनटुनियाँ…
मुझको पता नहीं-भोला प्रसाद शर्मा
मुझको पता नहीं माँ! तो माँ होती है उसमें भरी ममता की छाँव होती है मोह में पड़ी रहती है आजीवन हो शहर या गाँव में अपनापन कब चुरा लेती…
पिता-भोला प्रसाद शर्मा
पिता पिता जैसा कोई वरदान नहीं पिता जैसा कोई महान नहीं पिता हम आपकी निन्दिया है चमकाती माँ की बिन्दिया है पिता हँसता हुआ फूल है रक्षा कवच बना त्रिशूल…
जीवन का आधार-भोला प्रसाद शर्मा
जीवन का आधार योग जीवन का है आधार गुरु इनके है अपरम्पार मस्त गठिला और मजबूत छिपा है इसमें वह वजूद इसकी क्षेम कुशल व्यावहार होता शरीर में रक्त संचार…
पिता का चरित्र-भोला प्रसाद शर्मा
पिता का चरित्र एक रिश्ता है वो प्यार का, रहकर भी साथ निभा जाते हैं। होंठो पर दिखा मुस्कान वह हरदम, दिलों पर बोझ सहन कर जाते हैं। पता ही…
पर्यावरण-भोला प्रसाद शर्मा
पर्यावरण सोच-सोचकर ये मन सोच नहीं पाता, क्यों हे! मानव पर्यावरण को छ्लाता। कहता मैं कर्म करता नित भला सबका, पर व्यावहारिक पुरुषार्थ कभी न दिखलाता। मन मसक्क्त की गलियों…