बचपन बचपन के वो अनमोल पल जैसे हो स्वच्छ और निर्मल जल। नहीं फिक्र किसी भी बात की न चिन्ता थी जज्बात की। बस खेल-कूद और थी मस्ती पढ़ना लिखना और…
Author: Priti Kumari
है धरा आज फिर मुस्काई
है धरा आज फिर मुसकाई , है चली आज फिर पुरवाई घनघोर घटा फिर से छाई, खुश होकर झूमे अमराई । छाया नभ में काला बादल, है उमड़- घुमड़ कर…
हम हैं आज की लड़कियाँ-प्रीति कुमारी
🌷हम हैं आज की लड़कियाँ 🌷 किशोर वय के बच्चों में, होते हैं कुछ बदलाव । हार्मोन्स के खेल से वे, हो जाते हैं परेशान । खासकर के लड़कियाँ ,…