बहन की प्रतीक्षा
भोर बेला में खड़ी घर के द्वारे
विकल मन बहना नैना पसारे
सुनसान सड़क है सुनसान राहें
भरी धुंध-छाया में भैया को निहारे
आने की आशा विश्वास बहुत है
झूमेगी बहना जो भाई घर पधारे
महामारी है तो ये दिन कैसे भूलूँ
तू आ मेरे भईया लूँ मैं सारी बलाएं
दूर हूँ फ़िर भी चिंता तेरी ही रहती
भय कहाँ मुझे भी! मेरी रक्षा तेरे ही सहारे
सज़ा है थाल अक्षत, चंदन, रेशम-डोर से
आजा मेरे भईया तेरी बहना पुकारे
✍️विनय कुमार वैश्कियार
आ. म. वि अईमा
खिजरसराय ( गया )
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