बजी बधाई शुभ घड़ी आई-विवेक कुमार

Vivek

Vivek

बजी बधाई शुभ घड़ी आई

देवकी वसुदेव का लाल जगत का पालनहार,
रूप सौंदर्य था इनका बड़ा ही कमाल,
बड़ा लुभावना इनका मनुहार,
करता सबको निहाल,
रास रचईया कहूं या इन्हें बंसी बजईया,
यशोदा लाल कहूं या कहूं नंदलाल,
हे गिरधर गोपाल हे पालनहार,
तेरी महिमा बड़ी अपरम्पार।
तुझसे ही जग संसार,
राधा के तुम प्रियतम्हार,
हे मधुसूदन तुझे बारंबार प्रणाम,
भद्र अष्टमी को जन्म ले, भक्तों का किया बेड़ा पार।
अपनी लीलाओं से जगत को किया निहाल,
माखनचोर बन किए हजारों कमाल,
मिट्टी खा मईया को भरमाया, मुंह खोल ब्रह्माण्ड दिखाया,
गोपियों संग तूने क्या करतब दिखाये,
रक्षा हेतु कानी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया,
कालिया, पूतना, तृणावर्त, बकासुर का संहार किया,
राधा संग प्रेम लीला कर, वृंदावन के गोपियों का मन बहलाया,
बंसी की धुन पर उन्हें नचाया,
अताताई कंस का वध कर तूने,
भयमुक्त वातावरण का निर्माण किया।
हे चक्रधारी हे त्रिपुरारी तुझमें बसा जग संसार है,
प्रेम के प्रतिरूप हो तुम, प्रेम ही जगत का सार है।
उसी लल्ला का देखो है आया जन्मदिन त्योहार है,
बज गई बधाई, आज मंगल वेला आई,
भक्तन के सूने मन को बहुत है हर्षाई।
बज गई बधाई शुभ घड़ी है आई,
दिल की पुकार सुन ले गिरधर गोपाल,
हाथी घोड़ा पालकी
जय कन्हैया लाल की। 

✍️विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गवसरा मुशहर
मुजफ्फरपुर बिहार

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